Sunday 27 May 2012

Raftaar ke Banjaare/Gypsies of speed


(For those who can't read hindi, I tried to translate the poem in english. I hope I didn't make a mess out this translation job. Enjoy :) )

हर हवा के झोंके को
नम आँखों से सालम करते हैं वो, 
हर नयी बूँद को 
अपने इन ख़्वाबों के नाम करते हैं वो, 

हर नयी दिशा हर नए मुकाम को
अंजाम करते हैं जो 
न थकते न रुकते कभी, क़दमों को चलाते हुए
आराम करते हैं जो 

उन, 
मोटरसाइकल पर बैठ छितिज छूने जाते 
रफ़्तार के बंजारों को देखा है मैंने, 
इन्द्रधनुष का दूसरा सिरा तलाशते
बेपरवाह आवारों को देखा है मैंने

उन, 
हर फ़िक्र को पेट्रोल के धुंए में उड़ाते 
अनजाने रास्तो के मुसाफिरों को देखा है मैंने 
हर मंजिल पे पहुँच नयी मजिल को तलाशते, 
इन रास्तों को नया खुदा बनाते काफिरों को देखा है मैंने 


Saluting every gust of the wind, 
with their moist eyes
They immolate every tear drop, 
To these dreamy skies

Accomplishing one by one, 
every twist and every turn 
They might stop, they might relax
but their spirit never dies 

Yes, 
I have seen those Gypsies of speed, 
As they touch the new horizons with their hands
Those careless vagabonds,  
Searching for rainbows' other ends

Yes, 
I have seen those travelers of paths unknown, 
Leaving worries in the gasoline's smoke, defying all odds
Searching for a new destination at every moment, 
Those infidels, making these paths their new Gods 

Wednesday 23 May 2012

Ek Gubbara...

एक गुब्बारा दो गुब्बारे 
नीला पीला लाल हरा 
देखो कितने सारे गुब्बारे

एक भरा खुशियों से 
एक रंगीली मुस्कुराहटों से
एक भरा यादों से
एक किसी सुन्दर सपने की आहटों से 

एक बटेरता कुछ आंसूं 
तो दूसरा बाँट रहा देखो चमक 
एक चमक तुम्हारी आँखों की 
एक चमक तुम्हारी बातों की 
और एक तुम्हारी मुस्कराहट
जो सुबह है कितनी रातों की 

एक गुब्बारा दो गुब्बारे 
नीला पीला लाल हरा 
देखो कितने सारे गुब्बारे

एक गुब्बारा उसके लिए
जिसके सब गुब्बारे छूट गए
एक गुब्बारा उसके लिए
जिसके सारे इरादे टूट गए

एक गुब्बारा उसके लिए 
जो गुब्बारों के मेलों से दूर
अपना सब कुछ खो चुका है 
एक गुब्बारा उसके लिए
जो सारी रात एक सुबह के इंतज़ार में
जाने कितना रो चुका है 

एक गुब्बारा दो गुब्बारे 
नीला पीला लाल हरा 
देखो कितने सारे गुब्बारे

एक गुब्बारा हर खोये हुए को
भुलाने के लिए 
एक गुब्बारा हर दूर होते को
पास लाने के लिए 

एक गुब्बारा उसके लिए
जिसका हर दोस्त छूट गया 
एक गुब्बारा उसके लिए,  
जिसका हर खिलौना टूट गया
एक गुब्बारा उसके लिए
जिसका हर ख्वाब कोई लूट गया
एक गुब्बारा उसके लिए
जिसका हर लम्हा उसी से रूठ गया 

और ये आखरी गुब्बारा 
आपके लिए.... 


Tuesday 22 May 2012

अभिप्राय


चलते चलते नंगे पाँव
जाने कितने ही मील चल दिए
चुभते कांटे वालों इन राहों में
जाने कितने ही फूल हमने छल दिए 

जेबों में पड़े सपने
कहीं रास्तों में गिर कर टूट गए
कभी तारों तले जिनके संग वो ख्वाब बुन थे
वो वहीं कहीं तारों में ही छूट गए 

ज़िन्दगी की राहों पर
जो मुरझा जाना कभी बेकाम सा लगता था
आज उसी राह का हर मोड़
जैसे आंसुओं का मुकाम सा लगता है 

एक एक कर
बारिश हर बूँद पिया करते थे
एक एक कर
हर पल में ज़िन्दगी एक और जिया करते थे 

नीले आसमान तले
जो सपने कभी सुहाने लगते थे
उसी काले आसमान के तले
आज हकीकत को भूल जाने के बहाने लगते हैं 

कभी उनकी एक एक मुस्कराहट को मुट्ठी में भरने को
तलवे छिल जाने तक हम दौड़े थे 
आज उन्ही के सूखे आंसू याद दिलाते हैं
की हमारे ये जज़्बात ही सभी भगोड़े थे

खैर, 
अब युँही चलते चलते नंगे पाँव
कुछ दूर और चले आयेंगे 
वहीं कहीं गज गहरा एक गड्ढा है
उसी में हर हसरत हर ख्वाब दबा 
आज फिर कहीं निकल जायेंगे... 



Monday 21 May 2012

Ek ladki duffer si...

थोड़ी पागल, थोड़ी बेवक़ूफ़, 
थोड़ी नादान, थोड़ी समझदार 

कभी एक दोस्त सी, 
तो कभी दुश्मन से भी भयंकर, 
कभी एकदम प्यारी सी और कभी, 
बस पूछो ही मत 

कभी तो इतना बोलती है, 
की दिन से रात हो जाये, 
और कभी यूँही गुमसुम, 
जैसे न जाने कब रो जाए

कभी कभी अपनी बकवास से, 
मुझे हर समय  पकाती है, 
कभी कभी जब उदास सा रहूँ, 
तो मुझे  हँसाती रह जाती है 

कभी कभी तो पीछे सी पड़ जाती है, 
और जब थोड़े दिन बात न हो, 
तो क्या बताऊँ उसकी कितनी याद आती है 

फिर भी वो झल्ली मुझसे पूछती है, Did you miss me? 

(Duffer) 

एक तारा टूटा था...

एक तारा टूटा था, 
कभी किसी ओर आसमान के, 
कहीं किसी ज़माने में, 

एक ख्वाब मेरे मन में फूटा था, 
कभी किसी बहाने में, 
पर थोड़ा डरा था मैं तुम्हे ये बात बताने में... 

हर जंगल, हर झरने में ढूँढा था, 
उस टूटे हुए तारे को, 
हर आंसू, हर मुस्कराहट में ढूँढा था, 
उस टूटे हुए तारे को...

हवा के हर झोंके में, 
मौसम के हर धोखे में, 
पत्तों की हर सरसराहट में, 
काले बादलों की हर गडगडाहट में, 
तलाशे थे निशाँ उस तारे के...

जो कहीं मिल भी जाता अगर, 
तो इस उलझन में घिरा रहता, 
की पहचान पाऊंगा उसे
जो कहीं पहचान भी जाता अगर 
तो इस ख्याल से सहमा रहता 
की अपना मान पाऊंगा उसे...

एक सपना जो हमेशा देखा करता था, 
एक तारा जो अपना देखा करता था...

जो टूट के न जाने कब बिछड़ गया था, 
जो रूठ के न जाने किसके जहाँ में गड़ गया था...

क्या वो जहाँ कभी  मेरा हो पायेगा? 
क्या उस तक अब मुझे कोई ले जायेगा?

उस तक, 
जिसे एक रोज़ देखा था मैंने,
पर कभी पूछ न पाया...

"क्या तुम्ही वो तारा थी?



Tuesday 8 May 2012

तुम्हारी आँखें


तुम्हारी आँखें 

सपने है कुछ उनमें
कुछ बातें
और कुछ अनछुई हसीन यादें

तुम्हारी आँखें

एक राज़ गहरा छुपाती हैं,
करीब थोड़ा और बुलाती हैं
जो गौर से थोड़ा देखूं तोह
नजाने मुझे कहाँ ले जाती हैं 

तुम्हारी आँखें

कुछ कहती हैं मुझसे
धीरे से हर रात मेरे ख्यालों में
खोता जाता हूँ हर लम्हा कुछ और उनमें
जैसे एक जवाब उन खूबसूरत सवालों में 

तुम्हारी आँखें

देखूं उन्हें तो लगता है
दुनिया कुछ और निखर आई है
जैसे गुम सी एक मुस्कराहट
फिर मेरे होठों पे लौट आई है 

तुम्हारी आँखें

देखो इसी तरह रोज़ मुझे तड़पाती हैं
सो भी जाता हूँ
तो सपनो में इनसे मुलाक़ात हो जाती है 

तुम्हारी आँखें

काश कभी यूँहीं राह चलते हम मिल जायेंगे
पर क्या पता ये बात आपसे हम कभी कह पाएंगे
या फिर क्या पता आप और आपकी आँखों में ही 
हम हमेशा के लिए खो जायेंगे