अकेला हूँ मैं,
कभी खुश सा,
कभी गम से घिरा,
कभी खिलता हूँ,
और कभी मुरझाया सा ...
अकेला हूँ मैं,
इन राहों में,
कभी तुम साथ चलते हो
कुछ दूर,
तो कभी बिन बताये चले जाते हो ..
अकेला हूँ मैं,
इस नीले आकाश के नीचे,
उड़ना नहीं जानता, पर
उड़ना चाहता हूँ,
दूर कहीं दूर, छुपना चाहता हूँ
अकेला हूँ मैं,
रोज़ लड़ता हूँ, खुदसे
कभी किसी सुबह जीत जाता हूँ,
तो कभी किसी अँधेरी रात,
हार कर मुंह छुपा लेता हूँ ...
अकेला हूँ मैं,
अपने आंसुओं से,
नए किरदार बनाता हूँ,
फिर उन्हें सुखा,
अपनी मुस्कुराहटों के रंग भर देता हूँ ...
अकेला हूँ मैं,
और कुछ गुम सा,
पर जैसा भी हूँ,
बहुत खुश हूँ,
या शायद, खुद से भी अकेला ही हूँ मैं ...
loved it, really loved it!
ReplyDeleteLoved this !! :D
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