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कहीं एक बच्चा साइकल चला रहा था,
किन्ही पेड़ों की छाँव में बेंच पर बैठा,
एक जोड़ा आसमान में उड़ते पंछियों को देख अपने सपना बना रहा था,
तो वहीँ बैठे एक बुजुर्ग की कहानियाँ सुन बच्चों का झुंड अपना मन बहला रहा था,
कहीं किसी के खिलखिलाने की आवाज़ थी, तो कोई पिछले रोज़ की खबर अपने तरीके से सुना रहा था
बस कुछ ऐसा ही था आज सुबह का सफ़र
पता नहीं आज रविवार के दिन भी, कोई न कोई अपने ऑफिस जा रहा था,
आँखों में उसकी साफ़ लिखा था की काम आज उसकी ज़िन्दगी को कितना तडपा रहा था
खाली सी सड़क पर दूर से एक रोलर स्केटिंग वालों का काफिला चला आ रहा था,
तो कहीं सड़क के किनारे बैठे कुत्तों को एक १० साल का लड़का बिस्कुट खिला रहा था,
कहीं एक बच्चा साइकल चला रहा था,
तो कोई नींद भरी आँखों को मलते हुए अपना डौगी घुमा रहा था,
कोई योग का बहाना कर अपने मोबाईल फ़ोन पर,
अपनी सेहत की झूठी कहानी दुनिया को सुना रहा था,
बस कुछ ऐसा ही था आज सुबह का सफ़र
आसमान के एक कोने में चाँद सोने जा रहा था,
तो दूसरे कोने से सूरज मुस्कुराता हुआ आ रहा था,
नुक्कड़ के हैंडपंप के नीचे कोई खुल्ली हवा में स्नान का मज़ा पा रहा था,
और कहीं सुबह ६ बजे उठ, दुकानदार अपनी रोज़ी रोटी कमा रहा था
बस कुछ ऐसा ही था आज सुबह का सफ़र
किन्ही पेड़ों की छाँव में बेंच पर बैठा,
एक जोड़ा आसमान में उड़ते पंछियों को देख अपने सपना बना रहा था,
तो वहीँ बैठे एक बुजुर्ग की कहानियाँ सुन बच्चों का झुंड अपना मन बहला रहा था,
कहीं किसी के खिलखिलाने की आवाज़ थी, तो कोई पिछले रोज़ की खबर अपने तरीके से सुना रहा था
बस कुछ ऐसा ही था आज सुबह का सफ़र
पता नहीं आज रविवार के दिन भी, कोई न कोई अपने ऑफिस जा रहा था,
आँखों में उसकी साफ़ लिखा था की काम आज उसकी ज़िन्दगी को कितना तडपा रहा था
खाली सी सड़क पर दूर से एक रोलर स्केटिंग वालों का काफिला चला आ रहा था,
तो कहीं सड़क के किनारे बैठे कुत्तों को एक १० साल का लड़का बिस्कुट खिला रहा था,
बस कुछ ऐसा ही था आज सुबह का सफ़र
रात को चीरती हुई सुबह एक दोस्त की तरह आकर,
जैसे दुनिया की गाडी को धक्का लगा रही थी,
और नींद को दूर भगा सुबह सुबह की ताज़ी हवा चखने आई आंटी जी की डौली,
पास में खुली दूकान से २ डेरी मिल्क खरीद, छुप छुप के खा रही थी
रंगीन नजारों के बीच मेरी नज़र उसपर भी पड़ी थी,
शायद इन सब मुस्कुराहटों के बीच अपने कुछ आंसू वोह छिपा रही थी,
पास जाके पूछा था की राज़ अपने कुछ मुझे बतला दे,
शायद किसी की ज़रुरत थी उसे, मुझे देख मुस्कुरा पड़ी
बोली,"क्या कुछ देर आपके साथ युहीं टहल सकती हूँ?"
मेरे हाँ सुन ने से पहले ही, कदम से कदम मिलाने लगी
बस युहीं चलते रहे हम चुप चाप, और फिर किसी गली में मुड़ गम हो गयी
जाते जाते कुछ कहना था उसे, पर आंसू की जगह चेहरे पे तैरती उसकी मुस्कराहट ही सब कह गयी
अच्छा सा था आज का सफ़र,
रविवार की सुबह और टपरी वाले की चाय संग अखबार का मज़ा,
सोचा है अब रोज़ रोज़ मैं इस खुशनुमा दुनिया को देखने आया करूँगा,
क्या पता बाकी दिन की तरह, इसे भी कहीं किसी की नज़र न लग जाए
रात को चीरती हुई सुबह एक दोस्त की तरह आकर,
जैसे दुनिया की गाडी को धक्का लगा रही थी,
और नींद को दूर भगा सुबह सुबह की ताज़ी हवा चखने आई आंटी जी की डौली,
पास में खुली दूकान से २ डेरी मिल्क खरीद, छुप छुप के खा रही थी
रंगीन नजारों के बीच मेरी नज़र उसपर भी पड़ी थी,
शायद इन सब मुस्कुराहटों के बीच अपने कुछ आंसू वोह छिपा रही थी,
पास जाके पूछा था की राज़ अपने कुछ मुझे बतला दे,
शायद किसी की ज़रुरत थी उसे, मुझे देख मुस्कुरा पड़ी
बोली,"क्या कुछ देर आपके साथ युहीं टहल सकती हूँ?"
मेरे हाँ सुन ने से पहले ही, कदम से कदम मिलाने लगी
बस युहीं चलते रहे हम चुप चाप, और फिर किसी गली में मुड़ गम हो गयी
जाते जाते कुछ कहना था उसे, पर आंसू की जगह चेहरे पे तैरती उसकी मुस्कराहट ही सब कह गयी
अच्छा सा था आज का सफ़र,
रविवार की सुबह और टपरी वाले की चाय संग अखबार का मज़ा,
सोचा है अब रोज़ रोज़ मैं इस खुशनुमा दुनिया को देखने आया करूँगा,
क्या पता बाकी दिन की तरह, इसे भी कहीं किसी की नज़र न लग जाए
Kahin ek
bachcha cycle chala raha tha,
Toh koi
neend bhari aankhon ko malte hue apna doggy ghuma raha tha,
Koi yoga ka
bahana kar apne mobile phone par,
Apni sehat
ki jhoothi kahaani duniya ko suna raha tha,
Bas kuch
aisa hi tha aaj subah ka safar
Aasmaan ke
ek kone mein chaand sone jaa raha tha,
Toh doosre
kone se suraj muskurata hua aa raha tha,
Nukkad ke
handpump ke neeche koi khulli hawa mein snaan ka mazaa pa raha tha,
Aur kahin
subah 6 baje uth, dukaandar apni rozi roti kama raha tha
Bas kuch aisa
hi tha aaj subah ka safar
Kinhi pedon
ki chaanv mein bench par baitha,
Ek joda
aasmaan mein udte panchiyon ko dekh apne sapne bana raha tha,
Toh wahin
baithe ek bujurg ki kahaaniyan sun bachchon ka jhund apna mann behla raha tha,
Kahin kisi
ke khilkhilane ki awaaz thi, toh koi pichle roz ki khabar apne tareeke se suna
raha tha
Bas kuch
aisa hi tha aaj subah ka safar
Pata nahin
aaj ravivaar ke din bhi, koi na koi apne office ja raha tha
Aankhon mein
uski saaf likha tha ki kaam aaj uski zindagi ko kitna tadpa raha tha
Khali si
sadak par duur se ek roller skating waalon ka kaafila chala aa raha tha
Toh kahin
sadak ke kinare baith kutton ko ek 10 saal ka ladka biskut khila raha tha
Bas kuch
aisa hi tha aaj subah ka safar
Raat ko
cheerti hui subah ek dost ki tarah aakar,
Jaise duniya
ki gaadi ko dhakka laga rahi thi,
Aur neend
ko duur bhaga subah subah taazi hawa chakhne aai aunty ji ki dolly,
Paas mein
khuli dukaan se 2 dairy milk khareed, chup chup ke kha rahi thi
Rangeen
nazaaron ke beech meri nazar usspar bhi padi thi,
Shayad inn
muskurahaton ke beech apne kuch aansu woh chipa rahi thi
Paas jaake
poocha tha ki raaz apne kuch mujhe batla de,
Shayad kisi
ki zaroorat thi use, mujhe dekh muskura padi
Boli, “Kya
kuch der aapke saath yunhin tehel sakti hun?”
Meri haan
sun ne se pehle hi, kadam se kadam milane lagi
Bas yunhi
chalte rahe hum chup chap, aur fir kisi gali mein mud gum ho gayi
Jaate jaate
kuch kehna tha use, par aansu ki jagah chehre pe tairti uski muskurahat hi sab
keh gayi
Achcha tha
aaj ka safar,
Ravivaar ki
subah aur tapree waale ki chai sang akhbaar ka mazaa,
Socha hai ab
roz roz mein iss khushnuma duniya ko dekhe aaya karunga,
Kya pata
baaki din ki tarah, ise bhi kahin kisi ki nazar na lag jaaye
Awesome work Abhi! Meri subah bana di tune yaar! :D
ReplyDelete@TheSlumDawg
super awesome work abhinav
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