Based on this image clicked by Faizan Patel (His Photography page)
याद है,
याद है,
वह सीढियां, जहाँ बैठ कर
सांप सीढ़ी खेला करते थे,
कभी मैं तुमसे हार जाता,
तो कभी तुम मुझसे जीत जाया करती थीं
वह छत, जहाँ साथ मिलकर
पतंगें उड़ाया करते थे,
और जो मंजे से मेरी उंगली कट जाती,
तो तुम अपने होंठों से मरहम लगा जाया करती थीं
एक बगीचा, छोटा सा,
जहाँ हर सावन के महीने में ओले बटोरा करते थे,
और भीगे भागे जब घर में घुसते,
तो माँ तुम्हारे हिस्से के थप्पड़ भी मुझे रसीद दिया करती थीं
मास्टर बैडरूम, कोने वाला
जहाँ शादी के बाद हमने एक छोटा सा जहाँ बसाया था,
वहां पड़े एक टूटे बिस्तर के सिरहाने पर आज भी तुम्हारी यादें बस्ती हैं,
वही, जो एक बंद पड़े काले बक्से में तुम छुपा दिया करती थीं
एक घर हमारा,
पहाडगंज की गलियों में सीना ताने मुस्कुराता था,
आज खंडहर बन सूखे आंसू बहाता है,
जिसे कभी सुबहें अपनी सुनहरी किरणों से सजा जाया करती थीं
एक इमारत ही है बस,
मेरे सपनो की तरह कुछ टूटी हुई सी,
एक इमारत ही है बस,
मेरे अपनों की तरह कुछ रूठी हुई सी
nice :)
ReplyDeleteThank you DM :)
Deletemashallah!
ReplyDeleteShukriya Dost :)
DeleteDevanagari script is tough but your read is faaaar simpler. Absolute pleasure.
ReplyDeleteThanks a lot shakti and yup that's what I try, make hindi a simple and fun read :)
DeleteAmazing one.. the way you've expressed it all is lovely!
ReplyDeleteThank you so much shubhra
DeleteNow this read did take me through some peotic journey.
ReplyDeleteWell done buddy.
Thanks a lot man and it wouldn't have been possible without your awesome photography skills.
DeleteWow!! I am speechless!
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