Monday, 5 August 2013

Zara hans do ...

बादल तुमसे मिलने आये हैं, 
बारिश भी संग अपने लाये हैं, 
चलो आज कुछ अपनी बतलाओ, 
सुना है खूब कहानियाँ गड़ते हो, 
कुछ हमें भी सुनाओ, 
आओ अपनी नयी राह बनायेंगे, 
बड़े दिन हुए कहीं बाहर गए, 
चलो नए सपने खरीद कर लायेंगे, 
चाय की प्याली संग, 
आज फिर किस्सों में डुबकी लगायेंगे, 
तो क्यों चुपचाप कोने में, 
यूँ गम दबाये बैठे हो, 
चलो आज शाम ज़रा हँस दो ... 

सपने जो पुराने टूट गए, 
बह जाने दो जो पीछे छूट गए, 
क्या करोगे इतना रोकर, 
खुदसे इतना खफा होकर, 
क्यों मुस्कुराने से कतराते हो,
क्यों रौशनी से घबराते हो, 
आओ चलो फिर दुनिया से, 
एक नयी दोस्ती करके आते हैं, 
कुछ किस्से अपने सुना, 
कुछ कहानियाँ उनकी समेट कर लाते हैं,
तो क्यों चुपचाप कोने में, 
यूँ गम दबाये बैठे हो, 
चलो आज शाम ज़रा हँस दो ... 

 

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